जितिया या जिउतिया व्रत एक महत्वपूर्ण हिन्दू पर्व है, जिसे माताएं अपने पुत्रों की दीर्घायु, सुख, और समृद्धि के लिए करती हैं। यह व्रत विशेष रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल में मनाया जाता है। जितिया व्रत आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस दिन व्रती माताएं निराहार और निर्जला उपवास रखकर भगवान जीमूतवाहन की पूजा करती हैं, जो अपनी सत्यता और निष्ठा के लिए प्रसिद्ध हैं।
जितिया व्रत की कथा:
कथा के अनुसार, जीमूतवाहन एक राजा थे जिन्होंने अपनी प्रजा और धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। नागों की रक्षा के लिए उन्होंने स्वयं गरुड़ देव के समक्ष अपने प्राण समर्पित कर दिए, ताकि नाग वंश की रक्षा हो सके। उनके इस महान बलिदान के कारण उन्हें अमरत्व प्राप्त हुआ और माताएं उन्हें पुत्रों की दीर्घायु और सुरक्षा के लिए पूजती हैं।
व्रत की कथा सुनने के बाद माताएं पूजा करती हैं और व्रत का समापन अगले दिन पारण के साथ करती हैं। जितिया व्रत का महत्त्व निष्ठा, समर्पण और पुत्र के प्रति मातृ प्रेम का प्रतीक है, जिससे परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।